Ramal jyotish vigyan / Reena Toki.
Language: Hindi Publication details: New Delhi : Bharat Pustak Bhandar, 2024.Edition: 2nd edDescription: 172 p. : 22 cmISBN:- 9788186304914 (hbk.)
- 133.333 TOK/R
| Item type | Current library | Home library | Collection | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds | |
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Rajbhasha Book (Hindi)
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Central Library, IIT Bhubaneswar | Central Library, IIT Bhubaneswar | RB | 133.333 TOK/R (Browse shelf(Opens below)) | Available | RB1462 |
रमल ज्योतिष विज्ञान, जिसे रमल विद्या भी कहा जाता है, भविष्य जानने की एक प्राचीन विद्या है। इसमें, किसी व्यक्ति के प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए, विशेष रूप से बनाए गए पासों का उपयोग किया जाता है. यह विद्या जन्मतिथि या समय की आवश्यकता के बिना, भविष्य के बारे में जानकारी प्रदान करती है.
रमल (अरबी ज्योतिष ) शास्त्र में जीवन के प्रत्येक कठिन से कठिन समस्या के मार्गदर्शन और समाधान मात्र पासे डालकर किया जाता है। पासे को अरबी भाषा में कुरा कहते है। जो प्रश्नकर्ता के हाथ पर रखकर किसी विशेष स्थान पर डलवाएं जाते हैं। उससे प्राप्त हुई शकल आकृति को रमल अरबी ज्योतिषीय गणित के मुताबिक प्रस्तार यानि की जायचा बनाया जाता है। उस प्रस्तार के माध्यम से प्रश्नकर्ता के समस्त प्रश्नों का मार्ग दर्शन व समाधान गणित के द्वारा तत्काल ही प्राप्त होता रहता है। यह सारी प्रक्रिया प्रश्नकर्ता के रमलाचार्य के सम्मुख होने पर होती हैं। इतिहास : मान्यता है कि रमल ज्योतिष का उद्भव भगवान शिव ने देवी पार्वती के अनुरोध पर किया था, ताकि लोगों को उनके भविष्य को समझने और उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद मिल सके. यह विद्या वेदों जितनी ही प्राचीन है. ईसा पूर्व पहली शताब्दी में अरबों ने इस गुप्त विज्ञान को अपने साथ लिया और इसका बहुत अध्ययन और अभ्यास किया, इसलिए इसे अरबी ज्योतिष भी कहा जाता है.
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