000 | 02181 a2200229 4500 | ||
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001 | RB1275 | ||
003 | IN-BhIIT | ||
005 | 20240821110127.0 | ||
008 | 240820b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9788170281344 (HB) | ||
040 | _aIN-BhIIT | ||
041 | _ahin | ||
082 |
_a928.54 _bBAC/K |
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100 |
_aBachchan, Harivansh Rai. _eAuthor _96017 |
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245 |
_6880-02 _aKya bhooloon kya yaad karoon / _cby Harivansh Rai Bachchan. |
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260 |
_aNew Delhi : _bRajpal & Sons, _c2023. |
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300 |
_a254 p. : _bill. ; _c22 cm. |
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520 | _aप्रख्यात लोकप्रिय कवि हरिवंशराय बच्चन की बहुप्रशंसित आत्मकथा हिन्दी साहित्य की एक कालजयी कृति है। यह चार खण्डों में है: "क्या भूलूँ क्या याद करूँ", "नीड़ का निर्माण फिर", "बसेरे से दूर" और "‘दशद्वार’ से ‘सोपान’ तक"। यह एक सशक्त महागाथा है, जो उनके जीवन और कविता की अन्तर्धारा का वृत्तान्त ही नहीं कहती बल्कि छायावादी युग के बाद के साहित्यिक परिदृश्य का विवेचन भी प्रस्तुत करती है। निस्सन्देह, यह आत्मकथा हिन्दी साहित्य के सफ़र का मील-पत्थर है। बच्चनजी को इसके लिए भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार -‘सरस्वती सम्मान’ से सम्मानित भी किया जा चुका है। | ||
650 |
_aAutobiography. _920592 |
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880 |
_6100-02 _aक्या भूलूँ क्या याद करूँ / _cहरिवंशराय बच्चन के द्वारा |
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942 | _cRB | ||
999 |
_c13966 _d13966 |