Tamas / by Bhishma Sahni.
Language: Hindi Publication details: New Delhi : Rajkamal Prakashan, 2023.Description: 310 p. : ill. ; 24 cmISBN:- 9788126715732 (PBK)
- 891.433 SAH/T
Item type | Current library | Home library | Collection | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds | |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
Rajbhasha Book (Hindi) | Central Library, IIT Bhubaneswar | Central Library, IIT Bhubaneswar | RB | 891.433 SAH/T (Browse shelf(Opens below)) | Available | RB1420 |
Browsing Central Library, IIT Bhubaneswar shelves Close shelf browser (Hides shelf browser)
891.433 RAZ/A Aadha gaon / | 891.433 RAZ/T Topi shukla / | 891.433 ROY/E Ek tha doctor ek tha sant / | 891.433 SAH/T Tamas / | 891.433 SAN/D Dhruvtaarey / | 891.433 SAN/P Pratinidhi kahaniyan / | 891.433 SAR/P Premacanda aura unaka yuga |
मुझे ठीक से याद नहीं कि कब बम्बई के निकट, भिवंडी नगर में हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए। पर मुझे इतना याद है कि उन दंगों के बाद मैंने ‘तमस’ लिखना आरम्भ किया था। भिवंडी नगर बुनकरों का नगर था, शहर के अन्दर जगह-जगह खड्डियाँ लगी थीं, उनमें से अनेक बिजली से चलनेवाली खड्डियाँ थीं। पर घरों को आग की नज़र करने से खड्डियों का धातु बहुत कुछ पिघल गया था। गलियों में घूमते हुए लगता हम किसी प्राचीन नगर के खंडहरों में घूम रहे हों। पर गलियाँ लाँघते हुए, अपने क़दमों की आवाज़, अपनी पदचाप सुनते हुए लगने लगा, जैसे मैं यह आवाज़ पहले कहीं सुन चुका हूँ। चारों ओर छाई चुप्पी को भी ‘सुन’ चुका हूँ। अकुलाहट-भरी इस नीरवता का अनुभव भी कर चुका हूँ। सूनी गलियाँ लाँघ चुका हूँ। पर मैंने यह चुप्पी और इस वीरानी का ही अनुभव नहीं किया था। मैंने पेड़ों पर बैठे गिद्ध और चीलों को भी देखा था। आधे आकाश में फैली आग की लपटों की लौ को भी देखा था, गलियों-सडक़ों पर भागते क़दमों और रोंगटे खड़े कर देनेवाली चिल्लाहटों को भी सुना था, और जगह-जगह से उठनेवाले धर्मान्ध लोगों के नारे भी सुने थे, चीत्कार सुनी थी।
There are no comments on this title.